भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में दर्ज 348 केस सरकार ने लिए वापस, राकांपा काफी समय से कर रही थी मांग

पुणे. जनवरी 2018 में पुणे के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के मामले में दर्ज कुल 649 केस में से सरकार ने 348 मामले वापस ले लिए हैं। इस हिंसा में एक शख्स की मौत और करोड़ों कीसंपत्ति का नुकसान हुआ था। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में दर्ज केस को वापस लेने की मांग राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(राकांपा) की ओर से काफी समय पहले से की जा रही थी। राकांपा राज्य में महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार का हिस्सा है। बता दें कि, इस मामले की जांच केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा एनआईए को सौंपी गई है। कई अन्य आंदोलनों में दर्ज मामले भी हुएवापस गुरुवार को राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बताया कि इसी के साथ मराठा आरक्षण के लिए हुए आंदोलनों में दर्ज 548 मामलों में से 460 और नाणार में रिफाइनरी प्रोजेक्ट के खिलाफ हुए आंदोलन में दर्ज 5 में से 3 मामले वापस लेने का ऐलान किया है। कांग्रेस के गटनेता शरद रणपिसे ने भीमा कोरेगांव केस की वर्तमान स्थिति पर सदन में सवाल उठाया था। इसका जवाब देते हुए गृहराज्य मंत्री देशमुख ने यह बातें कहीं। देशमुख ने यह भी कहा कि अलग-अलग आंदोलनों में दर्ज केस की समीक्षा जारी है। इस फैसले के बाद भाजपा को फिर एक बार सरकार को घेरने का मौका मिल गया है। इससे पहले विधानसभा सत्र के पहले दिन भाजपा विधायकों ने किसानों की कर्जमाफी, महिला सुरक्षा और कई अन्य मुद्दों को लेकर विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया था। 1 जनवरी 2018 को पुणे में हुई थी हिंसा 31 दिसंबर 2017 को यलगार परिषद सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इसमें दिए गए भडकाऊ भाषणों कारण अगले दिन जनवरी 2018 को पुणे जिले के भीमा कोरेगांव युद्ध स्मारक के निकट हिंसा हुई थी। इसमें एक युवक की जान चली गई थी। साथ ही करोड़ों की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान हुआ था